जब लोगो को आप तसल्ली देने लगे ,तसल्ली नही विश्वास देने लगे और तब ,जब आप भी sure ना हो । ऐसा अक्सर आप इसीलिये करते होगे कि सामने वाले को मुसीबत से कुछ पल के लिये ही सही पर राहत मिले या हम सोचने लगते है कि i can easily do it। अनेको बार आपके 'i'll try my best' मे भी यही कुछ छिपा हो सकता है but इसकी अंत उलझने ही पैदा करेगा ;आपके लिये भी और औरो के लिये भी।
जब आप कोई काम करने मे आप सक्षम(capable) ना हो तो आप साफ कर दिजीये ।आप ऐसा करते समय अपने आप पर कोई बात को ना ले, याद रखे कि आप भगवान नही हो, आप हर किसी के दुख हर लेंगे ऐसा नही है, हरिवंशराय बच्चन की 'ना मंजिले मिली कभी ..अजेय तु अभी बना' को याद रखे । दुसरे के मन मे झुठे expectation/hope को बसने देना दुसरो को और उलझन मे डालने जैसा ही है।यही तुष्टिकरण की भयानक नीति है। best policy इस situation मे दुसरो को आपके मत से उचित रास्ता बताना हो सकती है appeasement कभी भी नही ।
जब आप कोई काम करने मे आप सक्षम(capable) ना हो तो आप साफ कर दिजीये ।आप ऐसा करते समय अपने आप पर कोई बात को ना ले, याद रखे कि आप भगवान नही हो, आप हर किसी के दुख हर लेंगे ऐसा नही है, हरिवंशराय बच्चन की 'ना मंजिले मिली कभी ..अजेय तु अभी बना' को याद रखे । दुसरे के मन मे झुठे expectation/hope को बसने देना दुसरो को और उलझन मे डालने जैसा ही है।यही तुष्टिकरण की भयानक नीति है। best policy इस situation मे दुसरो को आपके मत से उचित रास्ता बताना हो सकती है appeasement कभी भी नही ।
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