शनिवार, 7 दिसंबर 2013

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

Early to BED और Early to RISE

                        ज़िंदगी मे जब हम असफल होते हैं तो टूट ही जाते है वास्तव मे ये  असफलता किसी नये मुकाम पर पहुचाने के ही लिये हो सकती है ,जो होता है अच्छे के लिये ही होता है यही सोचने मे हमारी भलाई है । किसी ने कहा था जब भी गिरो रबर की गेंद के जैसे ही गिरना :तुरंत गिरकर ऊँचाई तक जाने लगती है ; लेकिन मिट्टी के ढेले जैसे गिरने का अर्थ नही हैं । वैसे इरादतन तो किसी को गिरने का शौक नही हैं यधपि गिरने के बाद भी निराश ना होकर के रबर की गेंद से सीख ली जा सकती है । 
                   बचपन की POEM भी कुछ यही सिखाती है जल्दी गिरकर जल्दी उठना EARLY TO BED AND EARLY TO RISE MAKES A MAN HEALTHY ,WEALTHY AND WISE...ज़िंदगी के संघर्षो मे गिरने के बाद हताश ना होकर फिर प्रयास करने मे  स्वास्थय , धन,  बुध्दिमानी है । और वास्तव मे गिरना और उठना वही सिक्के के दो पहलु हैं। 
                  " संघर्षो मे शक्ति मिले I hope so"

गुरुवार, 12 सितंबर 2013

बढते कदम

                   आज फिर चलते हुए एक दोसत की बात याद आ रही थी, उसने बताया था कि किसी आदमी के पैर चलते हुए बहुत कुछ सीखा जाते है, मानो जीवन को ही परिभाषित कर देते है।  अगला कदम जीवन की खुशहाली को बताता है तो पिछला जैसे जीवन में दुख को । मुददे की सीखने वाली चीज तो ये है कि अगले कदम को आगे होने का घमंड नही है , वह उतसाहित है लेकिन अकड़ नही। ऐसा इसलिए कयोकि उसे पता है जीवन मे दुख भी है कल किसी और को आगे होना है शा़यद उसे जो आज पीछे है हाँ इसी वजह से पिछले कदम की हँसी भी नही उड़ाता , इतना सब मालूम होने के बाद भी वह द्रढ़ता से आगे बढ़ रहा हैं।
                       और पिछला कदम पीछे है हाँ उसे पता है वो आज पीछे है कल नही होगा, लेकिन वह हताश या निराश नही, अभी पूरी कोशिश कर रहा है आगे बढ़ने की ,निशचित ही कल आगे होगा। ये पिछला कदम मुझे हमेशा सीखाता रहा है उमीद है आपको भी यदि आप जीवन के ऐसे दौर से गुजर रहे हो तो जरूर सीखाएगा बशर्ते आपको आगे बढ़ने की कोशिश करना होगा।